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13 Jan

टीपापानी पहाड़ पर मिले मध्य पाषाणकालीन शैलचित्र

रायगढ़, छत्तीसगढ़। रायगढ़ जिले के केरसार गांव स्थित टीपापानी पहाड़ पर हाल ही में मध्य पाषाणकाल (10,000-4,000 ई.पू.) के शैलचित्रों की खोज की गई है। यह ऐतिहासिक खोज डॉ. मुकेश कुमार राठिया, मानवविज्ञान अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा की गई है।

शैलचित्रों में जीवन और प्रकृति की झलक

डॉ. राठिया के अनुसार, इन शैलचित्रों में मानव एवं पशु आकृतियों के साथ-साथ पेड़-पौधे और अन्य दृश्य भी दर्शाए गए हैं। ये चित्र तत्कालीन मानव जीवन और उनके परिवेश के विकास की महत्वपूर्ण झलक प्रस्तुत करते हैं।

रायगढ़ के शैलचित्र: सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

2006 में रायगढ़ जिले के 16 स्थलों पर शैलचित्रों का दस्तावेजीकरण किया गया था। टीपापानी पर हुई यह नई खोज इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इन शैलचित्रों का सांस्कृतिक और वैज्ञानिक अध्ययन उनके ऐतिहासिक महत्व को और अधिक उजागर करता है।

टीपापानी पहाड़ पर मिले मध्य पाषाणकालीन शैलचित्र

संरक्षण में चुनौती और आगे की योजना

शैलचित्रों की गहराई केवल 1.5 सेमी तक होने के कारण इन्हें संरक्षित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। डॉ. राठिया ने बताया कि इस प्रक्रिया में कई वर्ष लग सकते हैं और इसे अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता की सहायता से आगे बढ़ाने की योजना है।

शोध को मिली राष्ट्रीय मान्यता

डॉ. मुकेश कुमार राठिया के इस शोध कार्य को भारतीय पुरातत्व विभाग और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के शैलचित्रों की तुलना भारत के अन्य हिस्सों में पाए जाने वाले शैलचित्रों से करके महत्वपूर्ण निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं।

रायगढ़ को दिलाई नई पहचान

डॉ. मुकेश कुमार राठिया, जो ग्राम गोरसियार, तहसील खरसिया, जिला रायगढ़ के निवासी हैं, वर्तमान में मानवविज्ञान अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर में कार्यरत हैं। उनकी यह खोज रायगढ़ जिले को पुरातत्व और सांस्कृतिक धरोहर के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाने की ओर अग्रसर है।

निष्कर्ष

टीपापानी के शैलचित्र न केवल छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करते हैं, बल्कि मध्य पाषाणकालीन इतिहास और मानव विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में भी उभरते हैं। यह खोज आने वाले समय में इस क्षेत्र को पुरातत्व के मानचित्र पर और भी मजबूती से स्थापित करेगी।